मदर टेरेसा के बारे में

 मदर टेरेसा: सेवा और मानवता की प्रतिमूर्ति

मदर टेरेसा (Saint Teresa of Calcutta) एक महान समाजसेविका थीं, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे निःस्वार्थ प्रेम, करुणा और दया की प्रतीक मानी जाती हैं। चलिए बात करते है मदर टेरेसा के बारे में


मदर टेरेसा का प्रारंभिक जीवन

🔹 जन्म: 26 अगस्त 1910
🔹 असली नाम: अग्नेस गोंझा बोयाजिउ (Agnes Gonxha Bojaxhiu)
🔹 जन्मस्थान: स्कोप्जे, मकदूनिया (अब उत्तर मैसेडोनिया)
🔹 परिवार: एक कैथोलिक ईसाई परिवार में जन्म हुआ। उनके पिता एक व्यापारी थे।

बचपन से ही मदर टेरेसा में दूसरों की मदद करने की भावना थी। 18 वर्ष की उम्र में, उन्होंने नन बनने का फैसला किया और आयरलैंड की "सिस्टर्स ऑफ लोरेटो" संस्था में शामिल हो गईं।


भारत आगमन और सेवा का संकल्प

🔹 1929 में, वे भारत आईं और कोलकाता (तब का कलकत्ता) में सेंट मैरी स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करने लगीं।
🔹 1946 में, उन्हें "ईश्वर का आह्वान" (Call within a Call) महसूस हुआ, जिसमें उन्होंने अनुभव किया कि उन्हें गरीबों और बेसहारा लोगों की सेवा करनी चाहिए।
🔹 इसके बाद, उन्होंने लोरेटो कॉन्वेंट छोड़ दिया और गरीबों की सेवा का संकल्प लिया

उन्होंने सफेद साड़ी, जिस पर नीली किनारी थी, पहननी शुरू की, जो उनकी पहचान बन गई।


"मिशनरीज ऑफ चैरिटी" की स्थापना

🔹 1950 में, मदर टेरेसा ने "मिशनरीज ऑफ चैरिटी" (Missionaries of Charity) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था –
✅ गरीबों को भोजन और आश्रय देना
✅ बीमारों और अनाथों की देखभाल करना
✅ कुष्ठ रोगियों और निराश्रितों की सेवा करना

🔹 उन्होंने कोलकाता में "निर्मल हृदय" नामक आश्रम खोला, जहाँ मरने वाले गरीबों को सम्मानजनक अंतिम समय बिताने का अवसर मिलता था।


सेवा कार्य और योगदान

मदर टेरेसा केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सेवा कार्य करने लगीं।
🔹 उन्होंने इथियोपिया में अकाल-पीड़ितों की सहायता की।
🔹 लेबनान के गृहयुद्ध के दौरान बच्चों को बचाया।
🔹 चेर्नोबिल (रूस) में विकिरण प्रभावित लोगों की मदद की।


पुरस्कार और सम्मान

🔹 1962: भारत सरकार द्वारा "पद्मश्री पुरस्कार"
🔹 1979: "नोबेल शांति पुरस्कार"
🔹 1980: भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न"
🔹 1997: अमेरिका का कांग्रेसनल गोल्ड मेडल


मृत्यु और संत की उपाधि

🔹 मदर टेरेसा का 5 सितंबर 1997 को कोलकाता में निधन हो गया।
🔹 2016 में, पोप फ्रांसिस ने उन्हें "संत" घोषित किया और उन्हें "सेंट टेरेसा ऑफ कोलकाता" की उपाधि दी।


मदर टेरेसा के प्रेरणादायक विचार

💬 "हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते, लेकिन हम छोटे-छोटे कार्य महान प्रेम से कर सकते हैं।"

💬 "अगर आप सौ लोगों की मदद नहीं कर सकते, तो केवल एक की ही मदद करें।"

💬 "शांति एक मुस्कान से शुरू होती है।"


मदर टेरेसा की विरासत

आज भी "मिशनरीज ऑफ चैरिटी" संस्था 130+ देशों में काम कर रही है और लाखों गरीबों की सेवा कर रही है। उनका जीवन हमें निःस्वार्थ सेवा, प्रेम और करुणा का संदेश देता है।

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