veer savarkar jeevan prichay

 

वीर सावरकर का जीवन परिचय चलिए बात करते है veer savarkar jeevan prichay के बारे में 

पूरा नाम: विनायक दामोदर सावरकर
जन्म: 28 मई 1883, भगूर, नासिक, महाराष्ट्र
मृत्यु: 26 फरवरी 1966, मुंबई, महाराष्ट्र
उपनाम: स्वातंत्र्यवीर सावरकर
पेशा: स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, कवि, इतिहासकार, राजनीतिज्ञ
विचारधारा: हिंदुत्व, राष्ट्रवाद

प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

वीर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर गांव में हुआ था। वे बचपन से ही अत्यंत बुद्धिमान और राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे। किशोरावस्था में उन्होंने शिवाजी की तरह एक सैन्य दल बनाया और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की भावना जगाने का कार्य किया।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नासिक में पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में प्रवेश लिया। वे उच्च शिक्षा के लिए 1906 में इंग्लैंड गए और वहाँ ग्रेज़ इन से कानून की पढ़ाई की।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ

लंदन में रहते हुए सावरकर ने अभिनव भारत सोसाइटी नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था। उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर "The First War of Indian Independence" नामक पुस्तक लिखी, जिसे ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया।

1909 में, उनके सहयोगी मदनलाल ढींगरा ने ब्रिटिश अधिकारी कर्ज़न वायली की हत्या कर दी, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने सावरकर को गिरफ्तार कर लिया। 1910 में उन्हें भारत लाया गया और उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर दो आजीवन कारावास (50 वर्ष) की सजा सुनाई गई।

काला पानी की सजा और संघर्ष

वीर सावरकर को अंडमान और निकोबार स्थित सेल्युलर जेल (काला पानी) भेज दिया गया। वहाँ उन्हें कठोर यातनाएँ दी गईं, फिर भी उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का प्रचार बंद नहीं किया। उन्होंने जेल की दीवारों पर नाखूनों और कोयले से कविताएँ लिखीं और अपने साथी कैदियों को प्रेरित किया।

हिंदुत्व और राजनीतिक जीवन

1924 में जेल से रिहा होने के बाद सावरकर को रत्नागिरी में नज़रबंद कर दिया गया। इसी दौरान उन्होंने "हिंदुत्व: हिंदू कौन है?" नामक पुस्तक लिखी, जिसने हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा को मजबूती दी।

वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने और भारत के विभाजन का विरोध किया। उन्होंने मुस्लिम तुष्टीकरण और गांधीवादी नीतियों की आलोचना की। महात्मा गांधी की हत्या के मामले में उन पर भी आरोप लगाया गया, लेकिन अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।

मृत्यु और विरासत

26 फरवरी 1966 को वीर सावरकर ने स्वेच्छा से अन्न-जल त्यागकर समाधि ले ली। वे आज भी एक प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम के नायक के रूप में जाने जाते हैं।

वीर सावरकर के योगदान:
✔ 1857 की क्रांति को पहला स्वतंत्रता संग्राम घोषित किया
✔ "हिंदुत्व" विचारधारा को लोकप्रिय बनाया
✔ ब्रिटिश सरकार के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन चलाया
✔ भारत की स्वतंत्रता के लिए कठोर यातनाएँ सही

निष्कर्ष

वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे, जिनकी राष्ट्रभक्ति और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनकी विचारधारा आज भी देश की राजनीति और समाज को प्रभावित करती है।

आशा है यह ब्लॉग वीर सावरकर की जीवनी आपकी कुछ मदद कर सके 


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